श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 5: श्रीराम, लक्ष्मण और सीता का शरभङ्ग मुनि के आश्रम पर जाना, देवताओं का दर्शन करना और मुनि से सम्मानित होना तथा शरभङ्ग मुनि का ब्रह्मलोक-गमन  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  3.5.21 
 
 
तत: समभिगच्छन्तं प्रेक्ष्य रामं शचीपति:।
शरभङ्गमनुज्ञाप्य विबुधानिदमब्रवीत्॥ २१॥
 
 
अनुवाद
 
  श्रीराम को आते हुए देख इंद्र ने शरभंग मुनि से विदा ली और देवताओं से इस प्रकार कहा-।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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