श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 5: श्रीराम, लक्ष्मण और सीता का शरभङ्ग मुनि के आश्रम पर जाना, देवताओं का दर्शन करना और मुनि से सम्मानित होना तथा शरभङ्ग मुनि का ब्रह्मलोक-गमन  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  3.5.20 
 
 
तमेवमुक्त्वा सौमित्रिमिहैव स्थीयतामिति।
अभिचक्राम काकुत्स्थ: शरभङ्गाश्रमं प्रति॥ २०॥
 
 
अनुवाद
 
  सुमित्रा कुमार लक्ष्मण को वहाँ ठहरने का कहकर श्रीरामचन्द्रजी टहलते हुए शरभङ्ग मुनि के आश्रम की ओर चल पड़े।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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