श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 5: श्रीराम, लक्ष्मण और सीता का शरभङ्ग मुनि के आश्रम पर जाना, देवताओं का दर्शन करना और मुनि से सम्मानित होना तथा शरभङ्ग मुनि का ब्रह्मलोक-गमन  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  3.5.19 
 
 
इहैव सह वैदेह्या मुहूर्तं तिष्ठ लक्ष्मण।
यावज्जानाम्यहं व्यक्तं क एष द्युतिमान् रथे॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  लक्ष्मण! जब तक मैं नहीं जान लेता कि रथ पर बैठा हुआ यह चमकदार व्यक्ति कौन है तब तक तुम विदेह नन्दिनी सीता के साथ यहीं कुछ क्षण रुक जाओ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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