श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 5: श्रीराम, लक्ष्मण और सीता का शरभङ्ग मुनि के आश्रम पर जाना, देवताओं का दर्शन करना और मुनि से सम्मानित होना तथा शरभङ्ग मुनि का ब्रह्मलोक-गमन  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  3.5.17 
 
 
उरोदेशेषु सर्वेषां हारा ज्वलनसंनिभा:।
रूपं बिभ्रति सौमित्रे पञ्चविंशतिवार्षिकम्॥ १७॥
 
 
अनुवाद
 
  सुमित्रा नन्दन! इन सभी के सीने पर तेज चमकने वाला हार शोभा पा रहा है। ये युवक पच्चीस साल की उम्र के लग रहे हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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