श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 5: श्रीराम, लक्ष्मण और सीता का शरभङ्ग मुनि के आश्रम पर जाना, देवताओं का दर्शन करना और मुनि से सम्मानित होना तथा शरभङ्ग मुनि का ब्रह्मलोक-गमन  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  3.5.13 
 
 
अर्चिष्मन्तं श्रिया जुष्टमद्भुतं पश्य लक्ष्मण।
प्रतपन्तमिवादित्यमन्तरिक्षगतं रथम्॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  देखो लक्ष्मण! आकाश में वह चमचमाता रथ देखो, जिससे तेज की लपटें निकल रही हैं। वह सूर्य की तरह चमक रहा है। इसकी शोभा देखते ही बनती है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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