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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 49: रावण द्वारा सीता का अपहरण, सीता का विलाप और उनके द्वारा जटायु का दर्शन
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श्लोक 8
श्लोक
3.49.8
दशास्यो विंशतिभुजो बभूव क्षणदाचर:।
स परिव्राजकच्छद्म महाकायो विहाय तत्॥ ८॥
अनुवाद
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वे विशाल काय निशाचर ने उस परिव्राजक के छद्मवेश को त्यागकर दस मुखों और बीस भुजाओं से युक्त होकर क्षणभर में दानवों का आचार-विचार धारण कर लिया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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