वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 49: रावण द्वारा सीता का अपहरण, सीता का विलाप और उनके द्वारा जटायु का दर्शन
»
श्लोक 7
श्लोक
3.49.7
संरक्तनयन: श्रीमांस्तप्तकाञ्चनभूषण:।
क्रोधेन महताविष्टो नीलजीमूतसंनिभ:॥ ७॥
अनुवाद
play_arrowpause
तब श्रीमान रावण के सभी नेत्र लाल हो रहे थे। वह पक्के सोने के आभूषणों से अलंकृत दिखाई दे रहा था और महान क्रोध से आविष्ट होकर वह नीलमेघ के समान काला दिख रहा था।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.