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श्लोक 3.49.40  |
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रामाय तु यथातत्त्वं जटायो हरणं मम।
लक्ष्मणाय च तत् सर्वमाख्यातव्यमशेषत:॥ ४०॥ |
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अनुवाद |
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आर्य जटायु! जिस प्रकार मेरा अपहरण हुआ है, इस सम्पूर्ण समाचार को श्रीराम और लक्ष्मण को ठीक उसी तरह विस्तार से बता दीजियेगा। |
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इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे एकोनपञ्चाश: सर्ग:॥ ४९॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें उनचासवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ४९॥ |
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