श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 49: रावण द्वारा सीता का अपहरण, सीता का विलाप और उनके द्वारा जटायु का दर्शन  »  श्लोक 39
 
 
श्लोक  3.49.39 
 
 
नैष वारयितुं शक्यस्त्वया क्रूरो निशाचर:।
सत्ववाञ्जितकाशी च सायुधश्चैव दुर्मति:॥ ३९॥
 
 
अनुवाद
 
  तुम इस क्रूर निशाचर को नहीं रोक सकते; क्योंकि यह बहुत बलवान है। इसके पास कई युद्धों में जीत हासिल करने का अनुभव है, इसीलिए इसका दुस्साहस बहुत बढ़ा हुआ है। इसके हाथों में हथियार है और इसके मन में दुष्टता भी भरी हुई है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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