श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 49: रावण द्वारा सीता का अपहरण, सीता का विलाप और उनके द्वारा जटायु का दर्शन  »  श्लोक 37
 
 
श्लोक  3.49.37 
 
 
सा तमुद्वीक्ष्य सुश्रोणी रावणस्य वशंगता।
समाक्रन्दद् भयपरा दु:खोपहतया गिरा॥ ३७॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण के अधीन हो जाने के कारण सुन्दर सीता अत्यन्त भयभीत हो गयी थीं। उन्होंने जटायु को देखकर दुःख से भरी हुई वाणी में करुण क्रन्दन करना आरम्भ कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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