वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 49: रावण द्वारा सीता का अपहरण, सीता का विलाप और उनके द्वारा जटायु का दर्शन
»
श्लोक 32
श्लोक
3.49.32
दैवतानि च यान्यस्मिन् वने विविधपादपे।
नमस्करोम्यहं तेभ्यो भर्तु: शंसत मां हृताम्॥ ३२॥
अनुवाद
play_arrowpause
वन में रहने वाले सभी देवताओं को मैं प्रणाम करती हूँ। आप सभी जल्द से जल्द मेरे स्वामी को यह संदेश पहुँचाएँ कि राक्षस ने उनकी पत्नी का हरण कर लिया है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.