श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 49: रावण द्वारा सीता का अपहरण, सीता का विलाप और उनके द्वारा जटायु का दर्शन  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  3.49.31 
 
 
हंससारससंघुष्टां वन्दे गोदावरीं नदीम्।
क्षिप्रं रामाय शंस त्वं सीतां हरति रावण:॥ ३१॥
 
 
अनुवाद
 
  नमस्ते गोदावरी नदी, अब तुम हंसों और सारसों के मधुर कलरवों से गूंज रही हो। माँ, तुम जल्दी से श्री राम को जाकर बता दो कि रावण सीता को हर कर ले जा रहा है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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