श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 49: रावण द्वारा सीता का अपहरण, सीता का विलाप और उनके द्वारा जटायु का दर्शन  »  श्लोक 30
 
 
श्लोक  3.49.30 
 
 
आमन्त्रये जनस्थाने कर्णिकारांश्च पुष्पितान्।
क्षिप्रं रामाय शंसध्वं सीतां हरति रावण:॥ ३०॥
 
 
अनुवाद
 
  जनस्थान में खिले हुए कनेर वृक्षों से मैं प्रार्थना करती हूँ कि तुमलोग श्रीराम को शीघ्र ही ये बताना कि रावण सीता को हरकर ले जा रहा है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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