श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 49: रावण द्वारा सीता का अपहरण, सीता का विलाप और उनके द्वारा जटायु का दर्शन  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  3.49.28 
 
 
त्वं कर्म कृतवानेतत् कालोपहतचेतन:।
जीवितान्तकरं घोरं रामाद् व्यसनमाप्नुहि॥ २८॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण! तेरे सिर पर काल नाच रहा है। उसने तुम्हारे सोचने-समझने की शक्ति को नष्ट कर दिया है, इसलिए तूने ऐसा पापकर्म किया है। तुझे श्रीराम से वह भयंकर संकट प्राप्त हो, जो तुम्हारे प्राणों का अंत कर डाले।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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