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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 27
श्लोक
3.49.27
न तु सद्योऽविनीतस्य दृश्यते कर्मण: फलम्।
कालोऽप्यङ्गीभवत्यत्र सस्यानामिव पक्तये॥ २७॥
अनुवाद
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उद्दंड पुरुषों के क्रूर कार्यों का फल तुरंत नहीं मिलता है, क्योंकि इसमें समय भी सहायक होता है, जैसे फसल पकने के लिए अनुकूल मौसम की आवश्यकता होती है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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