वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 49: रावण द्वारा सीता का अपहरण, सीता का विलाप और उनके द्वारा जटायु का दर्शन
»
श्लोक 23
श्लोक
3.49.23
तत: सा राक्षसेन्द्रेण ह्रियमाणा विहायसा।
भृशं चुक्रोश मत्तेव भ्रान्तचित्ता यथातुरा॥ २३॥
अनुवाद
play_arrowpause
जब राक्षसों के राजा रावण सीता जी को लेकर आकाश मार्ग से जाने लगे, उस समय सीता जी का मन भ्रमित हो उठा। वे मानो पागल सी हो गईं और दुःख से व्याकुल होकर जोर-जोर से विलाप करने लगीं।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.