श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 49: रावण द्वारा सीता का अपहरण, सीता का विलाप और उनके द्वारा जटायु का दर्शन  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  3.49.18 
 
 
तं दृष्ट्वा गिरिशृङ्गाभं तीक्ष्णदंष्ट्रं महाभुजम्।
प्राद्रवन् मृत्युसंकाशं भयार्ता वनदेवता:॥ १८॥
 
 
अनुवाद
 
  देवताओं ने उस समय उसकी ओर देखा तो वह राक्षस गिरि शिखर जैसा, तीक्ष्ण नखों वाला एवं विशाल बाहों के साथ नज़र आया। मृत्यु के समान भयावह दिखायी पड़ने वाले उस काल के समान राक्षस को देखकर वन के समस्त देवता भयभीत होकर भाग निकले।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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