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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 49: रावण द्वारा सीता का अपहरण, सीता का विलाप और उनके द्वारा जटायु का दर्शन
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श्लोक 17
श्लोक
3.49.17
वामेन सीतां पद्माक्षीं मूर्धजेषु करेण स:।
ऊर्वोस्तु दक्षिणेनैव परिजग्राह पाणिना॥ १७॥
अनुवाद
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वाम हाथ से उन्होंने पद्माक्षी सीता के मस्तक को उनके केशों समेत पकड़ लिया तथा दाहिने हाथ को उनकी जांघों के नीचे लगाकर उन्हें उठा लिया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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