श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 49: रावण द्वारा सीता का अपहरण, सीता का विलाप और उनके द्वारा जटायु का दर्शन  »  श्लोक 14-15h
 
 
श्लोक  3.49.14-15h 
 
 
य: स्त्रियो वचनाद् राज्यं विहाय ससुहृज्जनम्॥ १४॥
अस्मिन् व्यालानुचरिते वने वसति दुर्मति:।
 
 
अनुवाद
 
  स्त्री के एक वचन से अपना राज्य और मित्रगण छोड़कर इस हिंसक जन्तुओं से भरे जंगल में रहने वाला व्यक्ति कैसा मूर्ख है!
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.