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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 14-15h
श्लोक
3.49.14-15h
य: स्त्रियो वचनाद् राज्यं विहाय ससुहृज्जनम्॥ १४॥
अस्मिन् व्यालानुचरिते वने वसति दुर्मति:।
अनुवाद
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स्त्री के एक वचन से अपना राज्य और मित्रगण छोड़कर इस हिंसक जन्तुओं से भरे जंगल में रहने वाला व्यक्ति कैसा मूर्ख है!
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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