श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 49: रावण द्वारा सीता का अपहरण, सीता का विलाप और उनके द्वारा जटायु का दर्शन  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  3.49.10 
 
 
स तामसितकेशान्तां भास्करस्य प्रभामिव।
वसनाभरणोपेतां मैथिलीं रावणोऽब्रवीत्॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण मैथिली से बोला। वह मैथिली बड़े काले केशों वाली थी, जिस पर वस्त्राभूषण सजे हुए थे। वह सूर्य की प्रभा के समान जान पड़ती थी। रावण ने उससे कहा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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