श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 49: रावण द्वारा सीता का अपहरण, सीता का विलाप और उनके द्वारा जटायु का दर्शन  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  3.49.1 
 
 
सीताया वचनं श्रुत्वा दशग्रीव: प्रतापवान्।
हस्ते हस्तं समाहत्य चकार सुमहद् वपु:॥ १॥
 
 
अनुवाद
 
  सीता की बातें सुनकर दशाननों ने अपने दोनों हाथों को एक साथ जोड़ लिया और शरीर को और बड़ा कर लिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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