श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 48: रावण के द्वारा अपने पराक्रम का वर्णन और सीता द्वारा उसको कड़ी फटकार  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  3.48.19 
 
 
अङ्गुल्या न समो रामो मम युद्धे स मानुष:।
तव भाग्येन सम्प्राप्तं भजस्व वरवर्णिनि॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  सुंदरी! युद्ध में मनुष्यजाति का प्रभु श्रीराम भी मेरी एक उँगली के बराबर भी नहीं है। तुम्हारे भाग्य से मैं यहाँ आया हूँ। तुम मेरी पत्नी बनो और मुझे स्वीकार करो।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.