श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 48: रावण के द्वारा अपने पराक्रम का वर्णन और सीता द्वारा उसको कड़ी फटकार  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  3.48.18 
 
 
प्रत्याख्याय हि मां भीरु पश्चात्तापं गमिष्यसि।
चरणेनाभिहत्येव पुरूरवसमुर्वशी॥ १८॥
 
 
अनुवाद
 
  हे भीरु हृदय वाले! मुझे ठुकरा कर तुम ठीक उसी प्रकार पछताओगे, जिस प्रकार उर्वशी ने पुरूरवा को लात मारकर पछताया था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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