इति ब्रुवाणां कैकेयीं श्वशुरो मे स पार्थिव:॥ ९॥
अयाचतार्थैरन्वर्थैर्न च याच्ञां चकार सा।
अनुवाद
कैकेयी के ऐसे कहते ही मेरे श्वसुर महाराज दशरथ ने उनसे यह प्रार्थना की कि "तुम सब प्रकार की उत्तम वस्तुएँ ले लो, किंतु श्रीराम के अभिषेक में विघ्न न डालो।" लेकिन कैकेयी ने उनकी यह प्रार्थना सफल नहीं की।