श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 47: सीता का रावण को अपना और पति का परिचय देकर वन में आने का कारण बताना, रावण का उन्हें अपनी पटरानी बनाने की इच्छा प्रकट करना और सीता का उसे फटकारना  »  श्लोक 9-10h
 
 
श्लोक  3.47.9-10h 
 
 
इति ब्रुवाणां कैकेयीं श्वशुरो मे स पार्थिव:॥ ९॥
अयाचतार्थैरन्वर्थैर्न च याच्ञां चकार सा।
 
 
अनुवाद
 
  कैकेयी के ऐसे कहते ही मेरे श्वसुर महाराज दशरथ ने उनसे यह प्रार्थना की कि "तुम सब प्रकार की उत्तम वस्तुएँ ले लो, किंतु श्रीराम के अभिषेक में विघ्न न डालो।" लेकिन कैकेयी ने उनकी यह प्रार्थना सफल नहीं की।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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