तां वेपमानामुपलक्ष्य सीतां
स रावणो मृत्युसमप्रभाव:।
कुलं बलं नाम च कर्म चात्मन:
समाचचक्षे भयकारणार्थम्॥ ५०॥
अनुवाद
देखते हुए काँप रही सीता को मृत्यु तुल्य प्रभाव उत्पन्न करने वाले रावण ने भय उत्पन्न करने के लिये अपने कुल, बल, नाम और कर्म का परिचय दिया।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे सप्तचत्वारिंश: सर्ग: ॥ ४ ७॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें सैंतालीसवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ४ ७॥