वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 47: सीता का रावण को अपना और पति का परिचय देकर वन में आने का कारण बताना, रावण का उन्हें अपनी पटरानी बनाने की इच्छा प्रकट करना और सीता का उसे फटकारना
»
श्लोक 5
श्लोक
3.47.5
तत्र त्रयोदशे वर्षे राजाऽमन्त्रयत प्रभु:।
अभिषेचयितुं रामं समेतो राजमन्त्रिभि:॥ ५॥
अनुवाद
play_arrowpause
शक्तिशाली सम्राट दशरथ ने तेरहवें वर्ष के आरम्भ में राजमन्त्रियों से परामर्श करके श्रीरामचन्द्रजी को युवराज पद पर अभिषिष्क करने का निर्णय लिया।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.