श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 47: सीता का रावण को अपना और पति का परिचय देकर वन में आने का कारण बताना, रावण का उन्हें अपनी पटरानी बनाने की इच्छा प्रकट करना और सीता का उसे फटकारना  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  3.47.5 
 
 
तत्र त्रयोदशे वर्षे राजाऽमन्त्रयत प्रभु:।
अभिषेचयितुं रामं समेतो राजमन्त्रिभि:॥ ५॥
 
 
अनुवाद
 
  शक्तिशाली सम्राट दशरथ ने तेरहवें वर्ष के आरम्भ में राजमन्त्रियों से परामर्श करके श्रीरामचन्द्रजी को युवराज पद पर अभिषिष्क करने का निर्णय लिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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