श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 47: सीता का रावण को अपना और पति का परिचय देकर वन में आने का कारण बताना, रावण का उन्हें अपनी पटरानी बनाने की इच्छा प्रकट करना और सीता का उसे फटकारना  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  3.47.31 
 
 
पञ्च दास्य: सहस्राणि सर्वाभरणभूषिता:।
सीते परिचरिष्यन्ति भार्या भवसि मे यदि॥ ३१॥
 
 
अनुवाद
 
  सीते! यदि तुम मेरी पत्नी बन जाओ, तो पाँच हज़ार दासियाँ, जो सभी प्रकार के आभूषणों से सजी होंगी, हमेशा तुम्हारी सेवा करेंगी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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