श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 47: सीता का रावण को अपना और पति का परिचय देकर वन में आने का कारण बताना, रावण का उन्हें अपनी पटरानी बनाने की इच्छा प्रकट करना और सीता का उसे फटकारना  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  3.47.29 
 
 
लङ्का नाम समुद्रस्य मध्ये मम महापुरी।
सागरेण परिक्षिप्ता निविष्टा गिरिमूर्धनि॥ २९॥
 
 
अनुवाद
 
  मेरी राजधानी लङ्का समुद्र के बीचोंबीच एक बड़ी नगरी है। समुद्र ने इसे चारों ओर से घेर रखा है। यह एक पर्वत की चोटी पर बसी हुई है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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