श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 47: सीता का रावण को अपना और पति का परिचय देकर वन में आने का कारण बताना, रावण का उन्हें अपनी पटरानी बनाने की इच्छा प्रकट करना और सीता का उसे फटकारना  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  3.47.26 
 
 
येन वित्रासिता लोका: सदेवासुरमानुषा:।
अहं स रावणो नाम सीते रक्षोगणेश्वर:॥ २६॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण सीता से कहता है, "सीते! जिसके नाम से देवता, असुर और मनुष्य सहित तीनों लोक काँपते हैं, मैं वही राक्षसों का राजा रावण हूँ।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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