रुरून् गोधान् वराहांश्च हत्वाऽऽदायामिषं बहु॥ २३॥
स त्वं नाम च गोत्रं च कुलमाचक्ष्व तत्त्वत:।
एकश्च दण्डकारण्ये किमर्थं चरसि द्विज॥ २४॥
अनुवाद
रुरु और गोह नाम के हिंसक पशु और जंगली सूअर आदि का वध करके बहुत सारा फल-मूल लाऊँगा जो तपस्वी जनों के उपभोग के योग्य होंगे, और उस समय आपके लिए विशेष सत्कार करूँगा। हे ब्राह्मण! अब आप भी अपना नाम, गोत्र और कुल का सही-सही परिचय दीजिए। आप अकेले इस दंडकारण्य में क्यों घूम रहे हैं?