वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 47: सीता का रावण को अपना और पति का परिचय देकर वन में आने का कारण बताना, रावण का उन्हें अपनी पटरानी बनाने की इच्छा प्रकट करना और सीता का उसे फटकारना
»
श्लोक 17-18h
श्लोक
3.47.17-18h
दद्यान्न प्रतिगृह्णीयात् सत्यं ब्रूयान्न चानृतम्॥ १७॥
एतद् ब्राह्मण रामस्य व्रतं धृतमनुत्तमम्।
अनुवाद
play_arrowpause
श्रीराम सदैव देने वाले हैं, लेने वाले नहीं। वो हमेशा ही सत्य बोलते हैं, कभी झूठ नहीं बोलते। ब्राह्मण! श्रीरामचंद्रजी ने यही सर्वोत्तम व्रत धारण किया है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.