श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 47: सीता का रावण को अपना और पति का परिचय देकर वन में आने का कारण बताना, रावण का उन्हें अपनी पटरानी बनाने की इच्छा प्रकट करना और सीता का उसे फटकारना  »  श्लोक 11-12h
 
 
श्लोक  3.47.11-12h 
 
 
रामेति प्रथितो लोके सत्यवान् शीलवान् शुचि:॥ ११॥
विशालाक्षो महाबाहु: सर्वभूतहिते रत:।
 
 
अनुवाद
 
  श्रीराम जी जगत् में सत्यनिष्ठ, नैतिकता से युक्त, और पवित्रता के लिए श्रेष्ठ रूप से प्रसिद्ध हैं। उनके नेत्र बड़े-बड़े हैं और भुजाएँ विशाल हैं। वे सदैव सभी प्राणियों के हित में तत्पर रहते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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