तत्पश्चात् सुंदर वस्त्र पहने हुए सीताजी ने मृगया खेलने गए अपने पति श्रीरामचंद्रजी और लक्ष्मण जी का इंतज़ार करना शुरू कर दिया। उन्होंने चारों ओर नज़र दौड़ाई, परन्तु उन्हें हर तरफ़ हरा-भरा विशाल जंगल ही दिखाई दिया और श्रीराम और लक्ष्मण नहीं दिखे।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे षट्चत्वारिंश: सर्ग:॥ ४६॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें छियालीसवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ४६॥