श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 46: रावण का साधुवेष में सीता के पास जाकर उनका परिचय पूछना और सीता का आतिथ्य के लिये उसे आमन्त्रित करना  »  श्लोक 37
 
 
श्लोक  3.46.37 
 
 
निमन्त्र्यमाण: प्रतिपूर्णभाषिणीं
नरेन्द्रपत्नीं प्रसमीक्ष्य मैथिलीम्।
प्रसह्य तस्या हरणे दृढं मन:
समर्पयामास वधाय रावण:॥ ३७॥
 
 
अनुवाद
 
  सीता ने "अतिथि के लिये सब कुछ तैयार है" कहकर रावण को भोजन के लिये निमंत्रण दिया। रावण ने "सर्वं सम्पन्नम्" कहने वाली राजरानी मैथिली की ओर देखा और अपने ही वध के लिये उसने हठपूर्वक सीता का हरण करने के निमित्त मन में दृढ़ निश्चय कर लिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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