श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 46: रावण का साधुवेष में सीता के पास जाकर उनका परिचय पूछना और सीता का आतिथ्य के लिये उसे आमन्त्रित करना  »  श्लोक 36
 
 
श्लोक  3.46.36 
 
 
इयं बृसी ब्राह्मण काममास्यता-
मिदं च पाद्यं प्रतिगृह्यतामिति।
इदं च सिद्धं वनजातमुत्तमं
त्वदर्थमव्यग्रमिहोपभुज्यताम्॥ ३६॥
 
 
अनुवाद
 
  ब्राह्मण! यह एक चटाई है, आप आराम से इस पर बैठ जाइए। यह आपके पैर धोने के लिए जल है, इसे स्वीकार करें। और यह वन में ही उगने वाले उत्तम फल-मूल हैं, जिन्हें आपके लिए ही तैयार रखा गया है। कृपया यहाँ शांति से इसका सेवन करें।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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