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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 46: रावण का साधुवेष में सीता के पास जाकर उनका परिचय पूछना और सीता का आतिथ्य के लिये उसे आमन्त्रित करना
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श्लोक 35
श्लोक
3.46.35
द्विजातिवेषेण समीक्ष्य मैथिली
समागतं पात्रकुसुम्भधारिणम्।
अशक्यमुद्द्वेष्टुमुपायदर्शना-
न्न्यमन्त्रयद् ब्राह्मणवत् तथागतम्॥ ३५॥
अनुवाद
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वह रावण ब्राह्मण के भेष में वेशभूषा के साथ आया था और ब्राह्मण होने के प्रतीकों से युक्त था। इसलिए मैथिली ने उसे ब्राह्मण समझा और उसके लिए अतिथि सत्कार का आयोजन किया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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