श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 46: रावण का साधुवेष में सीता के पास जाकर उनका परिचय पूछना और सीता का आतिथ्य के लिये उसे आमन्त्रित करना  »  श्लोक 30-31h
 
 
श्लोक  3.46.30-31h 
 
 
मदान्वितानां घोराणां कुञ्जराणां तरस्विनाम्॥ ३०॥
कथमेका महारण्ये न बिभेषि वरानने।
 
 
अनुवाद
 
  वरानने! कितनी निर्भीकता से तुम इस विशाल वन में बड़े वेग से भागते हुए और भयंकर मदमत्त हाथियों के बीच अकेली विचरती हो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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