श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 46: रावण का साधुवेष में सीता के पास जाकर उनका परिचय पूछना और सीता का आतिथ्य के लिये उसे आमन्त्रित करना  »  श्लोक 29-30h
 
 
श्लोक  3.46.29-30h 
 
 
इह शाखामृगा: सिंहा द्वीपिव्याघ्रमृगा वृका:॥ २९॥
ऋक्षास्तरक्षव: कङ्का: कथं तेभ्यो न बिभ्यसे।
 
 
अनुवाद
 
  इहाँ वानर, सिंह, चीते, बाघ, हिरण, भेड़िये, भालू, शेर और गिद्ध जैसे पक्षी रहते हैं। तुम्हें इनसे डर क्यों नहीं लग रहा है?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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