श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 46: रावण का साधुवेष में सीता के पास जाकर उनका परिचय पूछना और सीता का आतिथ्य के लिये उसे आमन्त्रित करना  »  श्लोक 28-29h
 
 
श्लोक  3.46.28-29h 
 
 
नेह गच्छन्ति गन्धर्वा न देवा न च किन्नरा:॥ २८॥
राक्षसानामयं वास: कथं तु त्वमिहागता।
 
 
अनुवाद
 
  यहाँ गंधर्व, देवता औ किन्नर नहीं आते-जाते हैं। ये राक्षसों का निवास स्थान है, फिर तुम कैसे यहाँ आ गईं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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