श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 46: रावण का साधुवेष में सीता के पास जाकर उनका परिचय पूछना और सीता का आतिथ्य के लिये उसे आमन्त्रित करना  »  श्लोक 25-26h
 
 
श्लोक  3.46.25-26h 
 
 
राक्षसानामयं वासो घोराणां कामरूपिणाम्।
प्रासादाग्राणि रम्याणि नगरोपवनानि च॥ २५॥
सम्पन्नानि सुगन्धीनि युक्तान्याचरितुं त्वया।
 
 
अनुवाद
 
  राक्षसोंका निवास स्थान है, जो अपने इच्छानुसार कोई भी रूप धारण कर सकते हैं। तुम्हें सुन्दर महलों, समृद्ध नगरों और सुगन्ध से भरे उपवनों में विचरण करना और निवास करना चाहिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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