श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 46: रावण का साधुवेष में सीता के पास जाकर उनका परिचय पूछना और सीता का आतिथ्य के लिये उसे आमन्त्रित करना  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  3.46.22 
 
 
करान्तमितमध्यासि सुकेशे संहतस्तनि।
नैव देवी न गन्धर्वी न यक्षी न च किंनरी॥ २२॥
 
 
अनुवाद
 
  हे सुन्दरी! तुम्हारी कमर इतनी पतली है कि एक मुट्ठी में आ सकती है। तुम्हारे केश काले, घने और चमकदार हैं। तुम्हारे दोनों स्तन एक-दूसरे से सटे हुए हैं। देवताओं, गंधर्वों, यक्षों और किन्नरों की स्त्रियों में भी कोई भी तुम्हारे जैसी सुंदर नहीं है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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