श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 46: रावण का साधुवेष में सीता के पास जाकर उनका परिचय पूछना और सीता का आतिथ्य के लिये उसे आमन्त्रित करना  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  3.46.21 
 
 
चारुस्मिते चारुदति चारुनेत्रे विलासिनि।
मनो हरसि मे रामे नदीकूलमिवाम्भसा॥ २१॥
 
 
अनुवाद
 
  हे सुंदर मुस्कान वाली, सुंदर दांतों वाली और सुंदर आँखों वाली विलासिनी रमणी! तुम अपने सौंदर्य से मेरे मन को उसी तरह चुरा लेती हो, जैसे नदी अपने पानी से किनारे को चुरा लेती है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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