श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 46: रावण का साधुवेष में सीता के पास जाकर उनका परिचय पूछना और सीता का आतिथ्य के लिये उसे आमन्त्रित करना  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  3.46.2 
 
 
तदासाद्य दशग्रीव: क्षिप्रमन्तरमास्थित:।
अभिचक्राम वैदेहीं परिव्राजकरूपधृक्॥ २॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण ने लक्ष्मण के चले जाने का मौका पाकर जल्दी से एक संन्यासी का रूप धारण किया और सीता के पास पहुँच गया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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