श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 46: रावण का साधुवेष में सीता के पास जाकर उनका परिचय पूछना और सीता का आतिथ्य के लिये उसे आमन्त्रित करना  »  श्लोक 19-20
 
 
श्लोक  3.46.19-20 
 
 
एतावुपचितौ वृत्तौ संहतौ सम्प्रगल्भितौ॥ १९॥
पीनोन्नतमुखौ कान्तौ स्निग्धतालफलोपमौ।
मणिप्रवेकाभरणौ रुचिरौ ते पयोधरौ॥ २०॥
 
 
अनुवाद
 
  तुम्हारे ये दोनों स्तन पूरे, गोल, और एक-दूसरे से सटे हुए हैं। वे बड़े, मोटे, उठे हुए और सुंदर हैं। वे नारियल की तरह चिकने और कोमल हैं। ये स्तन मणियों से बने आभूषणों से सजे हुए हैं। वे बहुत ही सुंदर और आकर्षक हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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