रौप्यकाञ्चनवर्णाभे पीतकौशेयवासिनि।
कमलानां शुभां मालां पद्मिनीव च बिभ्रती॥ १६॥
अनुवाद
हे सुवर्ण और चाँदी के समान कान्ति वाली, पीले रेशमी वस्त्र पहनने वाली सुन्दरी! (तुम कौन हो?) तुम्हारे मुख, नेत्र, हाथ और पैर कमलों के समान हैं, इसलिए तुम पद्मिनी (पुष्करिणी) की भाँति कमलों की सुन्दर-सी माला धारण करती हो।