श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 46: रावण का साधुवेष में सीता के पास जाकर उनका परिचय पूछना और सीता का आतिथ्य के लिये उसे आमन्त्रित करना  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  3.46.16 
 
 
रौप्यकाञ्चनवर्णाभे पीतकौशेयवासिनि।
कमलानां शुभां मालां पद्मिनीव च बिभ्रती॥ १६॥
 
 
अनुवाद
 
  हे सुवर्ण और चाँदी के समान कान्ति वाली, पीले रेशमी वस्त्र पहनने वाली सुन्दरी! (तुम कौन हो?) तुम्हारे मुख, नेत्र, हाथ और पैर कमलों के समान हैं, इसलिए तुम पद्मिनी (पुष्करिणी) की भाँति कमलों की सुन्दर-सी माला धारण करती हो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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