श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 46: रावण का साधुवेष में सीता के पास जाकर उनका परिचय पूछना और सीता का आतिथ्य के लिये उसे आमन्त्रित करना  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  3.46.15 
 
 
तामुत्तमां त्रिलोकानां पद्महीनामिव श्रियम्।
विभ्राजमानां वपुषा रावण: प्रशशंस ह॥ १५॥
 
 
अनुवाद
 
  त्रिलोक सुन्दरी सीता अपने शरीर से कमल को छोड़, कमलालया लक्ष्मी के समान सुशोभित हो रही थीं। रावण उनकी प्रशंसा करता हुआ बोला।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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