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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 46: रावण का साधुवेष में सीता के पास जाकर उनका परिचय पूछना और सीता का आतिथ्य के लिये उसे आमन्त्रित करना
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श्लोक 14
श्लोक
3.46.14
दृष्ट्वा कामशराविद्धो ब्रह्मघोषमुदीरयन्।
अब्रवीत् प्रश्रितं वाक्यं रहिते राक्षसाधिप:॥ १४॥
अनुवाद
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राक्षसों के राजा रावण ने सीता जी को देखकर कामदेव के बाणों से घायल हो गए और वेद मंत्रों का उच्चारण करने लगे। उस एकान्त स्थान में उन्होंने विनम्र भाव से सीता जी से कुछ कहना चाहा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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