श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 45: सीता के मार्मिक वचनों से प्रेरित होकर लक्ष्मण का श्रीराम के पास जाना  »  श्लोक 9-10h
 
 
श्लोक  3.45.9-10h 
 
 
एवं ब्रुवाणां वैदेहीं बाष्पशोकसमन्विताम्॥ ९॥
अब्रवील्लक्ष्मणस्त्रस्तां सीतां मृगवधूमिव।
 
 
अनुवाद
 
  वैदेही सीता जी की हालत भयभीत हरिणी समान हो रही थी। वे शोक में डूबकर आँसू बहाती हुई थीं। जब उन्होंने यह बातें कहीं तो लक्ष्मण जी ने उनसे इस प्रकार कहा-।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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