तुम उन महातेजस्वी श्रीरामचन्द्रजी को देखने न जाकर यहाँ निश्चिंत खड़े हो, यही कारण है। हा! जो मुख्यतः तुम्हारे सेव्य हैं, जिनकी रक्षा और सेवा के लिये तुम यहाँ आये हो, यदि उन्हीं के प्राण संकट में पड़ गये तो यहाँ मेरी रक्षा से क्या होगा? तुम यहाँ इसलिए आये हो कि उनकी रक्षा और सेवा करो। तो तुम्हारा कर्तव्य है कि तुम यहीं रहकर उनकी रक्षा करो।