श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 45: सीता के मार्मिक वचनों से प्रेरित होकर लक्ष्मण का श्रीराम के पास जाना  »  श्लोक 8-9h
 
 
श्लोक  3.45.8-9h 
 
 
तेन तिष्ठसि विस्रब्धं तमपश्यन् महाद्युतिम्।
किं हि संशयमापन्ने तस्मिन्निह मया भवेत्॥ ८॥
कर्तव्यमिह तिष्ठन्त्या यत्प्रधानस्त्वमागत:।
 
 
अनुवाद
 
  तुम उन महातेजस्वी श्रीरामचन्द्रजी को देखने न जाकर यहाँ निश्चिंत खड़े हो, यही कारण है। हा! जो मुख्यतः तुम्हारे सेव्य हैं, जिनकी रक्षा और सेवा के लिये तुम यहाँ आये हो, यदि उन्हीं के प्राण संकट में पड़ गये तो यहाँ मेरी रक्षा से क्या होगा? तुम यहाँ इसलिए आये हो कि उनकी रक्षा और सेवा करो। तो तुम्हारा कर्तव्य है कि तुम यहीं रहकर उनकी रक्षा करो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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