श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 45: सीता के मार्मिक वचनों से प्रेरित होकर लक्ष्मण का श्रीराम के पास जाना  »  श्लोक 38
 
 
श्लोक  3.45.38 
 
 
इति लक्ष्मणमाश्रुत्य सीता शोकसमन्विता।
पाणिभ्यां रुदती दु:खादुदरं प्रजघान ह॥ ३८॥
 
 
अनुवाद
 
  लक्ष्मण के मुँह से ऐसी बात सुनकर सीता ने शोक से व्याकुल होकर दोनों हाथों से अपने पेट पर चोट की और छाती पीटने लगीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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